आयुर्वेद क्या है ? इसके प्रवर्तक कौन है ?
सुश्रुत के अनुसार “ जिसमे या जिसके द्वारा
आयु प्राप्त हो, आयु जानी जाये उसको आयुर्वेद कहते है ।
आयुर्वेद के प्रवर्तक कौन है ?
धन्वन्तरी आयुर्वेद के प्रवर्तक माने जाते है
यव विष्णु के २४ अवतारों में माने जाते है ये
समुद्र मंथन के समय अम्रत कुम्भ लेकर उत्पन्न हुए थे ।
आयुर्वेद के
मत अनुसार स्वथ्य व्यक्ति की परिभाषा क्या है ?
आयुर्वेद में स्वथ्य व्यक्ति को कितनी अच्छी
प्रकार परिभषित किया गया है इस बात का अंदाजा इसी तय्थ से लगया जा सकता है कि विश्व
स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) ने कई बार स्वथ्य व्यक्ति की परिभाषा बदलते हुए अंत में उसी हजारों वर्ष
पूर्व लिखित परिभाषा के अनुसार ही स्वथ्य व्यक्ति की परिभाषा है –
समदोष:समाग्निश्च समधातु मलक्रिय:।
प्रसन्नात्मा मनेद्रिय स्वथ्य
इत्यभिधीयते।।
आर्थात जिसके वात,पित्त,कफ तथा रज व् तम आदि
दोष, जठराग्नि, चक्ष्वाग्नि आदि अग्नियाँ तथा रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा,
व् शुक्र आदि धातुए व मलों के निष्काशन की क्रिया समान हो जिसकी आत्मा, इन्द्रियां
व मन प्रसन्न हो उसे स्वथ्य कह सकते है । इस परिभाषा में शारीरिक के साथ साथ
मानसिक स्वाथ्य पर भी बल दिया गया है ?
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