Friday, April 30, 2021

अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन International Labor Day or May Day

अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या  मई दिन   मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से मानी जाती है जब   अमेरिका    की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के दौरान    शिकागो    की हेमार्केट में बम धमाका हुआ था। यह बम किस ने फेंका किसी का कोई पता नहीं। इसके निष्कर्ष के तौर पर पुलिस ने मज़दूरों पर गोली चला दी और सात मज़दूर मार दिए। "भरोसेमंद गवाहों ने तस्दीक की कि पिस्तौलों की सभी फलैशें गली के केंद्र की तरफ से आईं जहाँ पुलिस खड़ी थी और भीड़ की तरफ़ से एक भी फ्लैश नहीं आई। इस से भी आगे वाली बात, प्राथमिक अखबारी रिपोर्टों में भीड़ की तरफ से गोलीबारी का कोई ज़िक्र नहीं। मौके पर एक   टेलीग्राफ   खंबा गोलियों के साथ हुई छेद से पुर हुआ था, जो सभी की सभी पुलिस वाले तरफ़ से आईं थीं।" चाहे इन घटनाओं का अमेरिका  पर एकदम कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा था लेकिन कुछ समय के बाद अमेरिका में 8 घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया था। मौजूदा समय    भारत   और अन्य देशों में मज़दूरों के 8 घंटे काम करने से संबंधित क़ानून लागू है। 



अंतरराष्ट्रीय मज़दूर आंदोलनअराजकतावादियोंसमाजवादियों, तथा साम्यवादियों द्वारा समर्थित यह दिवस ऐतिहासिक तौर पर केल्त बसंत महोत्सव से भी संबंधित है। इस दिवस का चुनाव हेमार्केट घटनाक्रम की स्मृति में, जो कि 4 मई 1886 को घटित हुआ थाद्वितीय अंतरराष्ट्रीय   के दौरान किया गया।

मज़दूर का अर्थ –

मजदुर जिसे श्रमिक भी कहते है । मानवीय शक्ति के द्वारा जिसमे दिमागी कार्य शारीरिक बल और प्रयास से जो कार्य `करने वाला होता है उसे ही मजदुर कहा जाता है । कार्य करने के उपरांत जो कार्य को अपनी के मेहनत के द्वारा अपनी मानवीय शक्ति को बेच को करे ।

दिहाड़ी मजदूरी – दैनिक पारिश्रमिक देने के बदले मजदुर दिया जाने वाला दैनिक भत्ता दिहाड़ी मजदूरी कहलाता है ।

वर्तमान दृष्टि में मजदुर वर्तमान

उद्देश्य

किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। उन की बड़ी संख्या इस की कामयाबी के लिए हाथों, अक्ल-इल्म और तनदेही के साथ जुटी होती है। किसी भी उद्योग में कामयाबी के लिए मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम धड़े होते हैं। कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता।

भारत

भारत में एक मई का दिवस सब से पहले   चेन्नई   में 1 मई    1923    को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इस को मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। इस की शुरूआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड  सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। भारत में मद्रास के हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया और एक संकल्प के पास करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 मुल्कों में यह दिवस पहली मई को मनाया जाता है। इसके पीछे तर्क है कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रामाणित हो चुका है।  

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी ने कहा था कि किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारों और किसानों पर निर्भर करती है। उद्योगपति, मालिक या प्रबंधक समझने की बजाय अपने-आप को ट्रस्टी समझने लगे। लोकतन्त्रीय ढांचो में तो सरकार भी लोगों की तरफ़ से चुनी जाती है जो राजनीतिक लोगों को अपने देश की बागडोर ट्रस्टी के रूप में सौंपते हैं। वह प्रबंध चलाने के लिए मज़दूरों, कामगारों और किसानों की बेहतरी, भलाई और विकास, अमन और कानूनी व्यवस्था बनाऐ रखने के लिए वचनबद्ध होते हैं। मज़दूरों और किसानों की बड़ी संख्या का राज प्रबंध में बड़ा योगदान है।

सरकार का रोल

सरकार का रोल औद्योगिक शान्ति, उद्योगपतियों और मज़दूरों दरमियान सुखदायक, शांतमयी और पारिवारिक संबंध कायम करना, झगड़े और टकराव की सूरत में उन का समझौता और सुलह करवाने का प्रबंध करना और उन के मसलों को औद्योगिक ट्रिब्यूनल कायम कर कर निरपेक्षता और पारदर्शी ढंग से कुदरती न्याय के उसूल के सिद्धांत अनुसार इंसाफ़ प्रदान करना और उन की बेहतरी के लिए समय -समय से कानूनी और विवरण प्रणाली निर्धारित करना है।

गुरु नानक और भाई लालो

भारतीय संदर्भ में गुरू नानक देव जी ने किसानों, मज़दूरों और कामगारों के हक में आवाज़ उठाई थी और उस समय के अहंकारी और लुटेरे हाकिम ऊँट पालक भागों की रोटी न खा कर उस का अहंकार तोड़ा और भाई लालो की काम की कमाई को सत्कार दिया था। गुरू नानक देव जी ने काम करना, नाम जपना, बाँट छकना और दसवंध निकालना'   का संदेश दिया। गरीब मज़दूर और कामगार का विनम्रता का राज स्थापित करने के लिए मनमुख से गुरमुख तक की यात्रा करने का संदेश दिया। 1 मई को   भाई लालो दिवस   के तौर पर भी सिक्ख समुदाय में मनाया जाता है। 

महाराष्ट्र

इसी दिन (1मई) को  महाराष्ट्र    में   महाराष्ट्र दिवस   मनाते है।   महाराष्ट्र के सभी ज़िलों में    मज़दूर    दिवस   मनाया जाता है। यहाँ जितने भी व्यापारी, कारीगर होते है वे सभी छुट्टी रखते है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस

मई दिवस, 1 मई   को होता है और कई   सार्वजनिक अवकाशों   को संदर्भित करता है।   कई देशों में मई दिवसअंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, या   श्रम दिवस  का पर्यायवाची है, तथा राजनीतिक प्रदर्शनों और यूनियनों व समाजवादी समूहों द्वारा आयोजित समारोह का एक दिन।

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